Thursday, October 3

सरिसवा और मरलहिया नदी के प्रदूषण से सीमावर्ती क्षेत्र में बढ़ा पर्यावरणीय संकट!

● प्रदूषण के स्रोतों की जांच कर तत्काल रोक लगाने की उठी मांग

रक्सौल।(vor desk )।सरिसवा और मरलहिया नदी के बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर डॉ. स्वयंभू शलभ ने पीएमओ समेत मुख्यमंत्री बिहार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस पर्यावरणीय खतरे से अवगत कराते हुए तत्काल कदम उठाने की मांग की है।

डॉ. शलभ ने अपने मेल संदेश में बताया है कि नेपाल की पहाड़ियों से निकलने वाली सरिसवा नदी का पवित्र और निर्मल पानी भारत के सीमाई क्षेत्र रक्सौल तक पहुंचते पहुंचते जहरीला हो जाता है। वर्षों से सीमावर्ती क्षेत्र के लोग इस दंश को झेल रहे हैं। अभी तक यह दशा केवल सरिसवा नदी की थी अब इसके साथ मरलहिया नदी का नाम भी शामिल हो गया है जो सरिसवा से थोड़ी ही दूर पूरब में बहती है। यह नदी आगे चलकर बंगरी नदी से मिल जाती है जो आगे बूढ़ी गंडक (सिकरहना) के रास्ते गंगा में समाहित हो जाती है। डॉ. शलभ ने बताया है कि नेपाल स्थित उद्योगों के रासायनिक अपशिष्ट इस नदी में भी आने लगे हैं जिसकी वजह से इसका रंग गाढ़ा पीला हो गया है। एक सप्ताह पूर्व पानी के ऊपर चमकीला तरल भी दिखाई दिया। नदी के आसपास बसे लोग काली सरिसवा और पीली मरलहिया को देखकर अचंभित और आशंकित हैं।

इस क्रम में डॉ. शलभ ने यह भी बताया है कि देश में प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े सभी मंत्रालयों और विभागों को यह समझना होगा कि प्रदूषण के इन प्रमुख स्रोतों को रोके बगैर गंगा को भी शुद्ध नहीं किया जा सकता।

डॉ. शलभ ने आगे कहा है कि यह असफलता सबों की असफलता है। हमारी आने वाली पीढ़ियां प्राकृतिक संसाधनों की इस दुर्दशा के लिए हमें कभी माफ नहीं करेंगी। वो सवाल उठाएंगी कि हम कैसा पर्यावरण उनके लिए छोड़ गए। वो पूछेंगी कि कैसे यहां के जीते जागते लोग असंवेदनशील बनकर अपनी आंखों के सामने उन नदियों को तिल तिल कर मरते देखते रहे जो कभी जीवनदायिनी कहलाती थीं। वो पूछेंगी कि यहां की सरकारें, यहां की व्यवस्था क्यों नहीं कोई कारगर कदम उठा पाईं जबकि भारत और नेपाल दोनों ही देश पर्यावरण संरक्षण के हिमायती हैं और दोनों के बीच आपसी गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध हैं।

इस नदी के प्रदूषण ने न केवल भारत नेपाल सीमा क्षेत्र के पर्यावरणीय खतरे को बढ़ाया है बल्कि प्रकृति की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के नियमों के आगे एक बड़ा प्रश्नचिह्न भी खड़ा कर दिया है। डॉ. शलभ ने इस समस्या पर नेपाल सरकार के साथ तत्काल बात किये जाने की मांग की है। कहा है कि इससे पहले कि इस नदी का प्रदूषण भी सरिसवा के समान जानलेवा बन जाय इसके प्रदूषण के स्रोतों की जांच कर इस पर तत्काल रोक लगाया जाना जरूरी है।

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